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Showing posts from July 4, 2020

मीरा चरित (28) || राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 || #srbhshrmrkw

राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 #srbhshrmrkw मीरा चरित (28) क्रमशः से आगे............. मीरा का विरह बढ़ता जा रहा था । इधर महल में, रनिवास में जो भी रीति रिवाज़ चल रहे थे - उन पर भी उसका कोई वश नहीं था ।मीरा को एक घड़ी भी चैन नहीं था- ऐसे में न तो उसका ढंग से कुछ खाने को मन होता और न ही किसी ओर कार्य में रूचि । सारा दिन प्रतीक्षा में ही निकल जाता -शायद ठाकुर किसी संत को अपना संदेश दे भेजे याँ कोई संकेत कर मुझे कुछ आज्ञा दें......और रात्रि किसी घायल की तरह रो रो कर निकलती ।ऐसे में जो भी गीत मुखरित होता वह विरह के भाव से सिक्त होता ।   घड़ी एक नहीं आवड़े तुम दरसण बिन मोय। ............................................  जो मैं ऐसी जाणती रे प्रीति कियाँ दुख होय।  नगर ढिंढोरा फेरती रे प्रीति न कीजो कोय॥ पंथ निहारूँ डगर बुहारूँ ऊभी मारग जोय। मीरा के प्रभु कबरे मिलोगा तुम मिलियाँ सुख होय (ऊभी अर्थात किसी स्थान पर रूक कर प्रतीक्षा करनी ।) कभी मीरा अन्तर्व्यथा से व्याकुल होकर अपने प्राणधन को पत्र लिखने बैठती । कौवे से कहती - " तू ले जायेगा मेरी पाती, ठहर मैं लिखती हूँ ।" किन्तु

मीरा चरित (27) || राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 || #srbhshrmrkw

राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 #srbhshrmrkw मीरा चरित (27) क्रमशः से आगे ........... विवाह के उत्सव घर में होने लगे- हर तरफ कोलाहल सुनाई देता था । मेड़ते में हर्ष समाता ही न था ।मीरा तो जैसी थी , वैसी ही रही । विवाह की तैयारी में मीरा को पीठी (हल्दी) चढ़ी ।उसके साथ ही दासियाँ गिरधरलाल को भी पीठी करने और गीत गाने लगी । मीरा को किसी भी बात का कोई उत्साह नहीं था । किसी भी रीति - रिवाज़ के लिए उसे श्याम कुन्ज से खींच कर लाना पड़ता था ।जो करा लो , सो कर देती ।न कराओ तो गिरधर लाल के वागे (पोशाकें) , मुकुट ,आभूषण संवारती , श्याम कुन्ज में अपने नित्य के कार्यक्रम में लगी रहती ।खाना पीना , पहनना उसे कुछ भी नहीं सुहाता ।श्याम कुन्ज अथवा अपने कक्ष का द्वार बंद करके वह पड़ी -पड़ी रोती रहती । मीरा का विरह बढ़ता जा रहा है ।उसके विरह के पद जो भी सुनता , रोये बिना न रहता । किन्तु सुनने का , देखने का समय ही किसके पास है ?  सब कह रहे है कि मेड़ता के तो भाग जगे है कि हिन्दुआ सूरज का युवराज इस द्वार पर तोरण वन्दन करने आयेगा ।उसके स्वागत में ही सब बावले हुये जा रहे है ।कौन देखे-सुने कि मीरा क्या कह रह

मीरा चरित (26) || राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 #srbhshrmrkw मीरा चरित (26) क्रमशः से आगे.............. मीरा श्याम कुन्ज में एकान्त में गिरधर के समक्ष बैठी है ।आजकल दो ही भाव उस पर प्रबल होते है - याँ तो ठाकुर जी की करूणा का स्मरण कर उनसे वह कृपा की याचना करती है और याँ फिर अपने ही भाव- राज्य में खो अपने श्यामसुन्दर से बैठे बातें करती रहती है । इस समय दूसरा भाव अधिक प्रबल है- मीरा गोपाल से बैठे निहोरा कर रही है--- थाँने काँई काँई कह समझाऊँ       म्हाँरा सांवरा गिरधारी ।      पूरब जनम की प्रीति म्हाँरी       अब नहीं जात निवारी ॥ सुन्दर बदन जोवताँ सजनी       प्रीति भई छे भारी ।       म्हाँरे घराँ पधारो गिरधर       मंगल गावें नारी ॥ मोती  चौक पूराऊँ व्हाला       तन मन तो पर वारी ।       म्हाँरो सगपण तो सूँ साँवरिया        जग सूँ नहीं विचारी ॥ मीरा कहे गोपिन को व्हालो       हम सूँ भयो ब्रह्मचारी ।        चरण शरण है दासी थाँरी         पलक न कीजे न्यारी ।॥ मीरा गाते गाते अपने भाव जगत में खो गई -वह सिर पर छोटी सी कलशी लिए यमुना जल लेकर लौट रही है ।उसके तृषित नेत्र इधरउधर निहार कर अपना धन खोज रहे है ।