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Showing posts from April 24, 2020

परशुराम जयंती 25-04-2020

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RADHEY KRISHNA WORLD  👈CLICK   परशुराम जयंती 25-04-2020  हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है। इस दिन अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पावन पर्व भी मनाया जाता है। तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल की सुबह 11 बजकर 51 मिनट से होने जा रही है। माना जाता है कि  भगवान परशुराम  का जन्म इसी तिथि को प्रदोष काल में हुआ था इसी दिन इनका भी जन्म हुआ था। ऋषि परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार भी माना जाता हैं। भगवान परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त थे। इस बार परशुराम जयंती 25 APRIL 2020 को मनाई जाएंगी।

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राधे कृष्णा वर्ल्ड 

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RADHA KRISHNA BREAK UP STORY

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RADHEY KRISHNA WORLD      👈CLICK क्या राधा काल्पनिक थीं? कई लोग करते हैं कि राधा सिर्फ काल्पनिक थीं. कारण? कारण ये कि भागवत जिसने भी पढ़ी है उसका कहना है कि सिर्फ दशम स्कंद में ही जब महारास का वर्णन हो रहा है वहीं एक जगह राधा के बारे में बताया गया है कि वो भी रास कर रही हैं और आनंद ले रही हैं. अलग-अलग ग्रंथों में राधा और कृष्ण की गोपियों का अलग वर्णन है. एक जगह ये भी लिखा है कि कृष्ण की 64 कलाएं ही गोपियां थीं और राधा उनकी महाशक्ति यानि राधा और गोपियां कृष्ण की ही शक्तियां थीं जिन्होंने स्त्री रूप ले लिया था. क्या कृष्ण ने राधा को धोखा दिया था? कृष्ण राधा से ये वादा करके गए थे कि वो वापस आएंगे. लेकिन कृष्ण राधा के पास वापस नहीं आए और चले गए. उनकी शादी भी रुकमणी से हुई. कहा जाता है कि रुकमणी लक्ष्मी का रूप थीं और उन्होंने कभी कृष्ण को देखा नहीं था फिर भी उन्हें अपना पति मानती थीं. जब रुकमणी के भाई रुकमी ने उनकी शादी किसी और से करनी चाही तो रुकमणी ने कृष्ण को याद किया और कहा कि अगर वो नहीं आएंगे तो वो अपनी जान दे देंगी. इसके बाद ही कृष्ण रुकमणी के पास गए और उनसे शा

भगवान विष्णु का स्वप्न

भगवान विष्णु का स्वप्न एक बार भगवान नारायण वैकुण्ठलोक में सोये हुए थे। उन्होंने स्वप्न में देखा कि करोड़ों चन्द्रमाओं की कांतिवाले, त्रिशूल-डमरू-धारी, स्वर्णा भरण-भूषित, सुरेन्द्र-वन्दित, सिद्धिसेवित त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आनन्दातिरेक से उन्मत्त होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं। उन्हें देखकर भगवान विष्णु हर्ष से गद्गद् हो उठे और अचानक उठकर बैठ गये, उन्हें इस प्रकार बैठे देखकर श्रीलक्ष्मी जी पूछने लगीं, "भगवन! आपके इस प्रकार अचानक निद्रा से उठकर बैठने का क्या कारण है?'' भगवान ने कुछ देर तक उनके इस प्रशन का कोई उत्तर नहीं दिया, कुछ देर बाद हर्षित होते हुए बोले, "देवि, मैंने अभी स्वप्न में भगवान श्रीमहेश्वर का दर्शन किया है। मालूम होता है, मुझे स्मरण किया है। अहोभाग्य, चलो, कैलाश में चलकर हम लोग महादेव के दर्शन करें।'' ऐसा विचार कर दोनों कैलाश की ओर चल दिये। भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश मार्ग पर आधी दूर गये होंगे कि देखते हैं भगवान शंकर स्वयं गिरिजा के साथ उनकी ओर चले आ रहे हैं। मानों घर बैठे निधि मिल गयी। पास आते ही दोनों परस्पर बड़े प्रेम