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Showing posts from June 15, 2020

मीरा चरित (17),राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197  मीरा चरित (17) क्रमशः से आगे............ बड़े पिताजी और बड़ी माँ के यूँ मीरा से सीधे सीधे ही मेवाड़ के राजकुवंर भोजराज से विवाह के प्रस्ताव पर मीरा का ह्रदय विवशता से क्रन्दन कर उठा ।वह शीघ्रता पूर्वक कक्ष से बाहर आ सीढ़ियाँ उतरती चली गई ।वह नहीं चाहती थी कि कोई भी उसकी आँखों में आँसू भी देखे ।जिसने उसे दौड़ते हुए देखा , चकित रह गया , ब्लकि पुकारा भी ,पर मीरा ने किसी की बात का उत्तर नहीं दिया ।               मीरा अपने ह्रदय के भावों को बाँधे अपने कक्ष में गई और धम्म से पलंग पर औंधी गिर पड़ी ।ह्रदय का बाँध तोड़ कर रूदन उमड़ पड़ा -" यह क्या हो रहा है मेरे सर्वसमर्थ स्वामी ! अपनी पत्नी को दूसरे के घर देने अथवा जाने की बात तो साधारण- से-साधारण , कायर-से- कायर राजपूत भी नहीं कर सकता ।शायद तुमने मुझे अपनी पत्नी स्वीकार ही नहीं किया , अन्यथा ...................  ।  हे गिरिधर ! यदि तुम अल्पशक्ति होते तो मैं तुम्हें दोष नहीं देती ।तब तो यही सत्य है  न कि तुमने मुझे अपना माना ही नहीं ........  ।न किया हो, स्वतन्त्र हो तुम ।किसी का बन्धन तो

मीरा चरित (16), राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197  मीरा चरित (16) क्रमशः से आगे ................ यों तो मेड़ते के रनिवास में गिरिजा जी , वीरमदेव जी ( दूदा जी के सबसे बड़े बेटे ) की तीसरी पत्नी थी ,किन्तु पटरानी वही थी ।उनका ऐश्वर्य देखते ही बनता था ।पीहर से उनके विवाह के समय में पचासों दास दासियाँ  साथ आये थे और परम प्रतापी हिन्दुआ सूर्य महाराणा साँगा की लाडली बहन का वैभव एवं सम्मान यहाँ सबसे अधिक था ।पूरे रनिवास में उनकी उदार व्यवहारिकता में भी  उनका ऐश्वर्य उपस्थित रहता ।   मीरा उनकी बहुत दुलारी बेटी थी ।ये उसकी सुन्दरता , सरलता पर जैसे न्यौछावर थी ।बस, उन्हें उसका आठों प्रहर ठाकुर जी से चिपके रहना नहीं सुहाता था ।किसी दिन त्योहार पर भी मीरा को श्याम कुन्ज से पकड़ कर लाना पड़ता ।मीरा को बाँधने के तो दो ही पाश थे ,भक्त -भगवत चर्चा अथवा वीर गाथा । जब भी गिरिजा जी मीरा को पाती , उसे बिठाकर अपने पूर्वजों की शौर्य गाथा सुनाती ।मीरा को वीर और भक्तिमय चरित्र रूचिकर लगते । रात ठाकुर जी को शयन करा कर मीरा उठ ही रही थी कि गिरिजा जी की दासी ने आकर संदेश दिया -"बड़े कुँवरसा आपको बुलवा रहे है ।&q

मीरा चरित (15),राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197  मीरा चरित (15) क्रमशः से आगे .............. प्रतिदिन की तरह मीरा पूजा समपन्न कर श्याम कुन्ज में बैठी भजन गा रही थी ।माँ , वीरकुँ वरी जी आई तो ठाकुर जी को प्रणाम करके बैठ गई ।मीरा ने भजन पूरा होने पर तानपुरा रखते समय माँ को देखा तो चरणों में सिर रखकर प्रणाम किया ।माँ ने जब बेटी का अश्रुसिक्त मुख देखा तो पीठ पर स्नेह से हाथ रखते हुए बोली ," मीरा ! क्या भजन गा गा कर ही आयु पूरी करनी है बेटी ? जहाँ विवाह होगा , वह लोग क्या भजन सुनने के लिए तुझे ले जायेंगे ?"              "जिसका ससुराल और पीहर एक ही ठौर हो भाबू ! उसे चिन्ता करने की क्या आवश्यकता है ?"         " मैं समझी नहीं बेटी !"माँ ने कहा । " महलों में मेरा पीहर है और श्याम कुन्ज ससुराल ।" मीरा ने सरलता से कहा।          " तुझे कब समझ आयेगी बेटी ! कुछ तो जगत व्यवहार सीख ।बड़े बड़े घरों में तुम्हारे सम्बन्ध की चर्चा चल रही है ।इधर रनिवास में हम लोगों का चिन्ता के मारे बुरा हाल है ।यह रात दिन गाना -बजाना ,पूजा-पाठ और  रोना-धोना इन सबसे

मीरा चरित 14,राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197  मीरा चरित (14) क्रमशः से आगे............. मीरा ने जब इतनी दैन्यता और क्रन्दन करते हुए रैदास जी से उसे शिष्या स्वीकार करने की प्रार्थना की तो वे भी भावुक हो उठे । सन्त ने मीरा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा," बेटी ! तुम्हें कुछ अधिक कहने- सुनने की आवश्यकता नहीं है ।नाम ही निसेनी (सीढ़ी ) है और लगन ही प्रयास , अगर दोनों ही बढ़ते जायें तो अगम अटारी घट में प्रकाशित हो जायेगी ।इन्हीं के सहारे उसमें पहुँच अमृतपान कर लोगी ।समय जैसा भी आये, पाँव पीछे न हटे , फिर तो बेड़ा पार है ।" इतना कह वह स्नेह से मुस्कुरा दिये ।           " मुझे कुछ प्रसाद देने की कृपा करें ।" मीरा ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की । सन्त ने एक क्षण सोचा ।फिर गले से अपनी जप- माला और इकतारा मीरा के फैले हाथों पर रख दिये ।मीरा ने उन्हें सिर से लगाया , माला गले में पहन ली और इकतारे  के तार पर पर उँगली रखकर उसने रैदास जी की ओर देखा ।उसके मन की बात समझ कर उन्होंने इकतारा मीरा के हाथ से लिया और बजाते हुये गाने लगे.......... प्रभुजी ,तुम चन्दन हम पानी ।       जाकी अँग

DAILY SUVICHAAR ,राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197  सुविचार   1  आज का सुविचार 14-06-2020 इस दुनिया में सब कुछ एकदम से नहीं मिल जाता| परिश्रम करना पड़ता है और वह भी लगन से! सूरज भी एक दम से नहीं उग जाता, वह भी धीरे धीरे उठकर संसार को प्रकाशित करता है। अगर आप में धैर्य है, साहस है तो आप जीवन में नयी ऊंचाइयों को छू सकते हैं|  2  आज का सुविचार 15 -06-2020  

Shiv bhola bhandari leela aprampaar thumari whats app status, srbh shrm,...

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Shiv shankar damru wale whats app status, mahadev whats app status, srb...

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