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Showing posts from April 28, 2020

GANPATI MANTRA ,

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RADHEY KRISHNA WORLD :9891158197 श्री गणपति अथर्वशीर्ष  (पढ़ें हिन्दी अर्थ‍सहित) श्री गणपति अथर्वशीर्ष   ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि त्वमेव केवलं कर्ताऽ सि त्वमेव केवलं धर्ताऽसि त्वमेव केवलं हर्ताऽसि त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।। अर्थ- ॐकारापति भगवान गणपति को नमस्कार है। हे गणेश! तुम्हीं प्रत्यक्ष तत्व हो। तुम्हीं केवल कर्ता हो। तुम्हीं केवल धर्ता हो। तुम्हीं केवल हर्ता हो। निश्चयपूर्वक तुम्हीं इन सब रूपों में विराजमान ब्रह्म हो। तुम साक्षात नित्य आत्मस्वरूप हो।                           ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।। मैं ऋत न्याययुक्त बात कहता हूं। सत्य कहता हूं। अव त्व मां। अव वक्तारं। अव श्रोतारं। अव दातारं। अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चातात। अव पुरस्तात। अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्। अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।। सर्वतो मां पाहि-पाहि समंतात्।।3।। हे पार्वतीनंदन! तुम मेरी (मुझ शिष्य की) रक्षा करो। वक्ता (आचार्य) की रक्षा करो। श्रोता की रक्

॥ श्रीहनूमन्नवरत्नपद्यमाला ॥

RADHEY KRISHNA WORLD : 9891158197 ॥ श्रीहनूमन्नवरत्नपद्यमाला ॥ श्रितजनपरिपालं रामकार्यानुकूलं धृतशुभगुणजालं यातुतन्त्वार्तिमूलम् । स्मितमुखसुकपोलं पीतपाटीरचेलं पतिनतिनुतिलोलं नौमि वातेशबालम् ॥ १॥ ....................................... दिनकरसुतमित्रं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं शिशुतनुकृतचित्रं रामकारुण्यपात्रम् । अशनिसदृशगात्रं सर्वकार्येषु जैत्रं भवजलधिवहित्रं स्तौमि वायोः सुपुत्रम् ॥ २॥ ........................................... मुखविजितशशाङ्कं चेतसा प्राप्तलङ्कं गतनिशिचरशङ्कं क्षालितात्मीयपङ्कम् । नगकुसुमविटङ्कं त्यक्तशापाख्यशृङ्गं रिपुहृदयलटङ्कं नौमि रामध्वजाङ्कम् ॥ ३॥ ................................................. दशरथसुतदूतं सौरसास्योद्गगीतं हतशशिरिपुसूतं तार्क्ष्यवेगातिपातम् । मितसगरजखातं मार्गिताशेषकेतं नयनपथगसीतं भावये वातजातम् ॥ ४॥ ............................................. निगदितसुखिरामं सान्त्वितैक्ष्वाकुवामं कृतविपिनविरामं सर्वरक्षोऽतिभीमम् । रिपुकुलकलिकामं रावणाख्याब्जसोमं मतरिपुबलसीमं चिन्तये तं

Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali

RADHEY KRISHNA WORLD : 9891158197 श्री हनुमान के 108 नाम मंत्र सुंदरकांड पाठ, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा और बूढ़े मंगलवार में प्रमुखता से पाठ किया जाता है। ॐ आञ्जनेयाय नमः । ॐ महावीराय नमः । ॐ हनूमते नमः । ॐ मारुतात्मजाय नमः । ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः । ॐ सीतादेविमुद्राप्रदायकाय नमः । ॐ अशोकवनकाच्छेत्रे नमः । ॐ सर्वमायाविभंजनाय नमः । ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः । ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः । 10 ॐ परविद्या परिहाराय नमः । ॐ परशौर्य विनाशनाय नमः । ॐ परमन्त्र निराकर्त्रे नमः । ॐ परयन्त्र प्रभेदकाय नमः । ॐ सर्वग्रह विनाशिने नमः । ॐ भीमसेन सहायकृथे नमः । ॐ सर्वदुखः हराय नमः । ॐ सर्वलोकचारिणे नमः । ॐ मनोजवाय नमः । ॐ पारिजात द्रुमूलस्थाय नमः । 20 ॐ सर्वमन्त्र स्वरूपवते नमः । ॐ सर्वतन्त्र स्वरूपिणे नमः । ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः । ॐ कपीश्वराय नमः । ॐ महाकायाय नमः । ॐ सर्वरोगहराय नमः । ॐ प्रभवे नमः । ॐ बल सिद्धिकराय नमः । ॐ सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायकाय नमः । ॐ कपिसेनानायकाय नमः । 30 ॐ भविष्यथ्चतुराननाय

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RADHEY KRISHNA WORLD : 9891158197 ॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥ ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥ लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥ लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥ लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥ पैठि पताल तोरि जाग कारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥ बाईं भुजा असुर संहारे । दाईं भुजा सब संत उबारें ॥ सुर नर मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥ कचंन थाल कपूर की बाती । आरती करत अंजनी माई ॥ जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥ लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ ॥ इति संप

॥ हनुमानाष्टक ॥, HANUMAN JI ASTHAK , JAI HANUMAN JI RADHEY KRISHNA WORLD

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RADHEY KRISHNA WORLD: 9891158197 ॥ हनुमानाष्टक ॥ बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो। देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥ बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो। चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो। कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥ अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो। जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो। हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥ रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो। ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो। चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥ बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो। लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो। आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

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RADHEY KRISHNA WORLD: 9891158197 बरसाने का मानगढ़           यहाँ रूठी हुई राधा रानी को श्याम सुन्दर ने मनाया था। श्यामसुन्दर ने राधा रानी जी को मनाने के बहुत से उपाए किये। कभी उनके चरणों में मस्तक रखते हैं, कभी उनको पंखा करते हैं कभी दर्पण दिखाते हैं और कभी विनती करते हैं। पर जब राधा रानी नहीं मानती हैं तब श्याम सुन्दर सखियों का सहारा लेते हैं। इन्हीं लीलायों के कारण इस स्थली का नाम "मानगढ़" पड़ा। मान माने रूठना, ये मान किसी लड़ाई या क्रोध से नहीं होता है जैसे की संसार में होता है, ये मान एक प्रेम की लीला है। राधा रानी श्याम सुन्दर के सुख हेतु मान करती हैं।         जब श्री जी देखती हैं कि श्याम सुन्दर हमारी प्रेम की आधीनता अधिक चाहते हैं, हमारे चरण स्पर्श चाहते हैं, तब वो मान करती हैं।  मानलीला प्रेम की बहुत ही अद्भुत लीला है जहाँ श्रीजी मान करती हैं। आवत जात हौं हार परी री। ज्यों ज्यों प्यारो विनती कर पठवत,                                    त्यों त्यों तू गढ़मान चढ़ी री। तिहारे बीच परे सोई बाबरी,                                      हौं चौगान की गेंद