JEEWAN KA UDASHYA KYA HAI
RADHEY KRISHNA WORLD 9891158197 जीवन का उद्देश्य क्या है????? * साधक सिद्ध बिमुक्त उदासी। कबि कोबिद कृतग्य संन्यासी॥ जोगी सूर सुतापस ग्यानी। धर्म निरत पंडित बिग्यानी॥ भावार्थ:-साधक, सिद्ध, जीवनमुक्त, उदासीन (विरक्त), कवि, विद्वान, कर्म (रहस्य) के ज्ञाता, संन्यासी, योगी, शूरवीर, बड़े तपस्वी, ज्ञानी, धर्मपरायण, पंडित और विज्ञानी-॥ * तरहिं न बिनु सेएँ मम स्वामी। राम नमामि नमामि नमामी॥ सरन गएँ मो से अघ रासी। होहिं सुद्ध नमामि अबिनासी॥ भावार्थ:-ये कोई भी मेरे स्वामी श्री रामजी का सेवन (भजन) किए बिना नहीं तर सकते। मैं, उन्हीं श्री रामजी को बार-बार नमस्कार करता हूँ। जिनकी शरण जाने पर मुझ जैसे पापराशि भी शुद्ध (पापरहित) हो जाते हैं, उन अविनाशी श्री रामजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥ मित्रों! सम्पदा, बुद्धिमत्ता, बलिष्ठता, प्रतिष्ठा, कला कुशलता जैसी भौतिक उपलब्धियों का शारीरिक सुविधा संवर्धन में कितना योगदान है, इसे आप सभी भली-भांति जानते और समझते हैं, उस उपार्जन के लिए सभी अपनी-अपनी सूझ−बूझ और सामर्थ्य के अनुरूप प्रयत्न भी करते हैं। इस संदर्भ में एक बात और भी जानने योग्य है, कि आ