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मीरा चरित 13 राधे कृष्णा वर्ल्ड

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राधे कृष्णा वर्ल्ड 9891158197  मीरा चरित 13 क्रमशः से आगे ....................... रात्रि में मीरा ने स्वप्न देखा कि महाराज युधिष्ठिर की सभा में प्रश्न उठा कि प्रथम पूज्य , सर्वश्रेष्ठ कौन है जिसका प्रथम पूजन किया जाय ।चारों तरफ़ से एक ही निर्णय हुआ -" कृष्णं वंदे जगदगुरूम ।" युधिष्ठिर ने सपरिवार अतिशय विनम्रता से श्रीकृष्ण के चरणों को धोया ।           सुबह हुई तो मीरा सोचने लगी-"गिरधर वे सब सत्य कह रहे थे कि तुम्हीं ही तो सच्चे गुरु हो ।आज तुम जिस संत के रूप में पधारोगे , मैं उनको ही अपना गुरु मान लूँगी ।वे" आज गुरु पूर्णिमा है ।मीरा ने गिरधर गोपाल को नया श्रंगार धारण कराया , गुरु भाव से उनकी पूजा की और गाने लगी........ म्हाँरा सतगुरू बेगा आजो जी ।       म्हारे सुख री सीर बहाजो जी॥        ................................     अरज करै मीरा दासी जी  ।     गुरु पद रज की प्यासी जी ॥        सारा दिन बीत गया ।सायंकाल अकस्मात विचरते हुए काशी के संत रैदास जी का मेड़ते में पधारना हुआ ।दूदाजी बहुत प्रसन्न हुये और उन्होंने शक्ति भर उनका सत्कार किया और आवास प्रदान

मीरा चरित (12) ,राधेकृष्णवर्ल्ड

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RADHEY KRISHNA WORLD 9891158197 मीरा चरित (12) कल गुरु पूर्णिमा है ।मीरा श्याम कुन्ज में बैठी हुई सोच रही है -सदा से इस दिन गुरु -पूजा करते आ रहे है ।शास्त्र कहते है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता , वही परमतत्व का दाता है ।तब मेरे गुरु कौन ?             वह एकदम से उठकर  दूदाजी के पास   चल पड़ी ।वहाँ जयमल ,(वीरमदेव जी के पुत्र और मीरा के छोटे भाई ) दूदाजी से तलवारबाज़ी के दाव पैच सीख रहे थे ।मीरा दूदाजी को प्रणाम कर भाई की बात खत्म होने की प्रतीक्षा करते बैठ गई ।पर जयमल तो युद्ध, घोड़ों और धनुष तलवार के बारे में वीरता से दूदाजी से कितने ही प्रश्न पूछते जा रहे थे ।             मीरा ने भाई को टोकते हुए कहा," बाबोसा  से मुझे कुछ पूछना था ।पूछ लूँ तो फिर भाई ,आप बाबोसा के साथ पुनः महाभारत प्रारम्भ कर लेना ।तलवार जितने तो आप हो नहीं अभी और युद्ध पर जाने की बातें कर रहे हो ।" जयमल और दूदाजी दोनों मीरा की बात पर हँस पड़े ।            मीरा अपनी जिज्ञासा रखती हुई बोली ," बाबोसा !शास्त्र और संत कहते है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता ।मेरे गुरु कौन है?"