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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 #srbhshrmrkw मीरा चरित (21) क्रमशः से आगे ............... कुँवर भोजराज पहली बार बुआ गिरिजा के ससुराल आये थे ।भुवा के दुलार की सीमा न थी ।एक तो मेवाड़ के उत्तराधिकारी , दूसरे गिरिजा जी के लाडले भतीजे और तीसरे मेड़ते के भावी जमाई होने के कारण पल पल महल में सब उनकी आवभगत में जुटे थे । जयमल और भोजराज की सहज ही मैत्री हो गई ।दोनों ही इधरउधर घूमते -घामते फुलवारी में आ निकले ।सुन्दर श्याम कुन्ज मन्दिर को देखकर भोजराज के पाँव उसी ओर उठने लगे । मीठी रागिनी सुनकर उन्होंने उत्सुकता से जयमल की ओर देखा ।जयमल ने कहा ," मेरी बड़ी बहन मीरा है ।इनके रोम रोम में भक्ति बसी हुई है ।" " जैसे आपके रोम रोम में वीरता बसी हुई है ।" भोजराज ने हँस कर कहा," भक्ति और वीरता , भाई बहन की ऐसी जोड़ी कहाँ मिलेगी ? विवाह कहाँ हुआ इनका ?" " विवाह ? विवाह की क्या बात फरमाते है आप ? विवाह का तो नाम भी सुनते ही जीजी (दीदी) की आँखों से आँसुओं के झरने बहने लगते है ।हुआ यों कि किसी बारात को देखकर जीजी ने का...