RAAM BANVAS PRASANG
RADHEY KRISHNA WORLD 9891158197 मित्रो प्रसंग उस समय का है?प्रभुश्रीराम माता सीता अनुज लक्ष्मण को वनवास हो चुका है। राजा दसरथ का स्वर्गवास हो चुका है। भरतजी स्वप्न देखते हैं? क्योंकि उस समय भरतजी ओर शत्रुघनजी मामा के यहाँ थे। * अनरथु अवध अरंभेउ जब तें। कुसगुन होहिं भरत कहुँ तब तें॥ देखहिं राति भयानक सपना। जागि करहिं कटु कोटि कलपना॥ भावार्थ:-जब से अयोध्या में अनर्थ प्रारंभ हुआ, तभी से भरतजी को अपशकुन होने लगे। वे रात को भयंकर स्वप्न देखते थे और जागने पर (उन स्वप्नों के कारण) करोड़ों (अनेकों) तरह की बुरी-बुरी कल्पनाएँ किया करते थे॥ अयोध्या में पातक काल है।राजा दशरथ का शरीर नहीं रहा। अयोध्या में अनाथता है। सुमंत अचेत हो गए हैं। वशिष्ठ तब राजपत्र उठाते हैं। लिखते हैं -प्रिय भरत (आशीष नहीं लिखते )अयोध्या में शीघ्र लौटो। अब वह ये भी नहीं लिख सकते -आपका शुभचिंतक। वह इतना ही लिखते हैं -आपका गुरु वशिष्ठ। सूतक काल में और कुछ लिख नहीं सकते थे। न आशीष न शुभेच्छु। भरत बार बार एक सपना देखते हैं। पूरी अयोध्या में अन्धेरा है। एक सुरंग है। वह राम के पीछे भागते है