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Showing posts from June 30, 2020

देवशयनी एकादशी || RADHEY KRISHNA WORLD9891158197|| AAJ KI TITHI

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राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197 देवशयनी एकादशी  Chaturmas 2020: देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को है. इस दिन से चातुर्मास शुरू हो रहे हैं. चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक यानि क्षीरसागर स्थिति अपने शयन में चलें जाएंगे. इस दौरान सृष्टि की कमान भगवान शिव के हाथों में रहेगी. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विश्राम काल आरंभ हो रहा है. इस दिन से ही चार्तुमास आरंभ हो जाएंगे. इस बार चार्तुमास 148 दिनों का है. जो 25 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी को समाप्त होगा. इस दिन भगवान विष्णु अपने शयन कक्ष से बाहर आ जाएंगे. इस बार अधिकमास यानि मलमास भी है. मान्यता है कि जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चार्तुमास अधिक लंबा होता है. इस कारण इस बार चार्तुमास की अवधि लगभक 5 माह की रहेगी. देवशयनी एकादशी को पद्मनाभा भी कहा जाता है. भगवान शिव देखते हैं धरती का कार्य चार्तुमास आरंभ होते हैं भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं. भगवान शिव चार्तुमास में धरती के सभी कार्य देखते हैं. इसीलिए चार्तुमास में भगवान शिव की उपासना को विशेष महत्च दि

! श्रीराधाचरितामृत" - भाग 2 |radhey krishna world| 9891158197

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RADHEY KRISHNA WORLD9891158197 !! श्रीराधाचरितामृत" - भाग 2 !! "जय हो जगत्पावन प्रेम कि .....जय हो उस अनिर्वचनीय प्रेम कि ..... उस प्रेम कि जय हो, जिसे पाकर कुछ पानें कि कामना नही रह जाती । उस 'चाह" कि जय हो .........जिस "प्रेम चाह" से कामनारूपी पिशाचिनी का पूर्ण रूप से नाश हो जाता है .......। और अंत में हे यादवकुल के वंश धर वज्रनाभ ! तुम जैसे प्रेमी कि भी जय हो ........जय हो । महर्षि शाण्डिल्य से "श्रीराधाचरित्र" सुननें कि इच्छा प्रकट करनें पर ......महर्षि के आनन्द का ठिकाना नही रहा ...वो उस प्रेम सिन्धु में डूबनें और उबरनें लगे थे । हे द्वारकेश के प्रपौत्र ! मैं क्या कह पाउँगा श्रीराधा चरित्र को ? जिन श्रीराधा का नाम लेते हुए श्रीशुकदेव जैसे परमहंस को समाधि लग जाती है ...........वो कुछ बोल नही पाते हैं । हाँ ......प्रेम अनुभूति का विषय है वज्रनाभ ! ये वाणी का विषय नही है .........कुछ देर मौन होकर फिर हँसते हुए बोलना प्रारम्भ करते हैं महर्षि शाण्डिल्य ............हा हा हा हा.........गूँगे के स्वाद कि तरह है ये प्रेम ....

भगवान शिब के बारे मे आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?| RADHEY KRISHNA WORLD 9891158197

Radhey krishna world 9891158197 प्रश्न - भगवान शिब के बारे मे आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है? जवाब - वह महादेव, जिनकी दृष्टि मे देव, दानव और मानव सभी समान है। जिन्होंने कमल और धतूरे मे, भस्म एवं चंदन मे कभी अंतर नहीं किया । सादा जीवन उच्च विचार वाला सिद्धांत भी शिव से ही शुरू हुआ था । वस्त्रों के स्थान पर कुछ पहनने का मन हुआ तो बाघ - तेंदुए की खाल पहन ली। रहने के लिए बहुत से स्थान है जैसे - कैलाश, काशी, श्मशान एवं वन । ऐसा कोई देवता बता दो, जो केवल एक बेलपत्र या थोड़े से जल से प्रसन्न हो जाते हो । जिन्हें किसी कठिन व्रत, नियम, अनुष्ठान आदि की आवश्यकता न हो । प्रभु शिव सरलता की पराकाष्ठा हैं । दिखावा पसंद नहीं करते, वरना आप ही बताइए कि अपनी ही बारात मे बैल पर सवार होकर, बाघ की खाल, नाग एवं मुंडमाला पहने, भस्म लगाए हुए देवों एवं मुनियों के साथ भूत पिशाच को बाराती बनाकर कौन आ सकता हैं । अपनी ही पत्नी के सामने कतार लगाकर, विनम्र भाव से अन्न की भिक्षा मांगकर अपने भक्तों को भोजन परोसने वाले देवता शायद ही कभी देखें गए हो । एक पति जिसने अपनी पत्नी के सम्

"श्रीराधाचरितामृत" 1|| radhey krishna world 9891158197

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RADHEY KRISHNA WORLD 9891158197 "श्रीराधाचरितामृत" - भाग 1 ओह ! ये क्या ! ये बृज है ? ये मेरे भगवान श्रीकृष्ण का बृज ? करील के काँटे ! ये भी सूख गए हैं......यहाँ कोई भी तो नही है । क्या क्या सोचकर चले थे द्वारिका से ये वज्रनाभ ..बृज की ओर । .ये वज्रनाभ श्रीकृष्ण के प्रपौत्र हैं .....हाँ हाँ द्वारकेश श्रीकृष्ण के । सब नष्ट हो गया द्वारिका में तो ........यदुवंशी आपस में ही लड़ भिड़ कर मर रहे थे ........जब उनके पास कोई अस्त्र न बचा तो उठा लिया था सबों नें उस नुकीले घास को .......जो समुद्र के किनारे थे । ओह ! कितना भीषण युद्ध था आपस में ही .......सब मर रहे थे ....और उधर समुद्र में सुनामी आरही थी .....द्वारिका टेढ़ा हो रहा था । चारों ओर मृत शरीर पड़े थे यदुवंशियों के .........पर उसी समय ये बात जब सुनी श्रीकृष्ण की रानियों नें.........कि श्रीकृष्ण के चरणों में किसी व्याधा नें बाण मार दिया और श्रीकृष्ण चले गए अपनें धाम ....। महारानी रुक्मणि सहित अष्टपटरानियों नें अपनें देह तुरन्त त्याग दिए । सौ रानियों के प्राण विरह से निकल गए ............... अब बची थीं .

केदार नाथ धाम से जुड़े रहस्य || radhey krishna world 9891158197

राधे कृष्णा वर्ल्ड 9891158197 #SRBHSHRMRKW   *केदार नाथ धाम से जुड़े रहस्य*  १. माना जाता है की 400 साल तक बर्फ में दबा रहा केदारनाथ धाम। २. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग मंदिर। ३. केदार, खर्चकुंड और भरतकुंड 3 पहाड़ी व 5 नदियों का संगम भी है यहां- मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी अविरल बहती हैं। ४. 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़े 85 फुट ऊंचे, 187 फुट लंबे और 80 फुट चौड़े मंदिर की दीवारें 12 फुट मोटी हैं जोकि आज भी भवनिकी का नायब नमूना है। ५. माना जाता है की सर्वप्रथम पांडवों ने ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए बनवाया था केदार नाथ मंदिर, इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने इसकी पुनर्स्थापना की ।इसका गर्भगृह अपेक्षाकृत प्राचीन है जिसे 8वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है। पहले 10वीं सदी में मालवा के राजा भोज द्वारा और फिर 13वीं सदी में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। ६. 6 माह तक मंदिर के अंदर दीपक जलता रहता है केदार धाम के कपाट शीत ऋतु में बंद होते है जब पुन कपाट खोले जाते हैं तो ६ माह पूर्व जलाये दीये में ज्योति विराजमान