साईं के ये 11 वचन करते हैं हर समस्या का समाधान, राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197,srbh shrm
राधेकृष्णावर्ल्ड 9891158197
साईं के ये 11 वचन करते हैं हर समस्या का समाधान
साईं बाबा और उनकी महिमा:
- साईं बाबा को एक चमत्कारी पुरुष, अवतार और भगवान का स्वरुप माना जाता है.
- इनको भक्ति परंपरा का प्रतीक माना जाता है.
- साईं बाबा का जन्म और उनसे जुड़ी दूसरी चीजें अभी अज्ञात हैं.
- इनका मूल स्थान महाराष्ट्र का शिरडी है, जहां पर भक्त इनके स्थान के दर्शन के लिए जाते हैं.
- साईं को हर धर्म में मान्यता प्राप्त है, हर धर्म के मानने वाले साईं में आस्था रखते हैं.
- साईं की उपासना बृहस्पतिवार के दिन विशेष रूप से की जाती है.
- मुख्यतौर पर तीन रूपों में की जाती है साईं की उपासना.
- चमत्कारी पुरुष के रूप में, भगवान के रूप में और गुरु के रूप में.
- गुरु के रूप में इनकी पूजा उपासना सबसे उत्तम होती है.
- इनको भक्ति परंपरा का प्रतीक माना जाता है.
- साईं बाबा का जन्म और उनसे जुड़ी दूसरी चीजें अभी अज्ञात हैं.
- इनका मूल स्थान महाराष्ट्र का शिरडी है, जहां पर भक्त इनके स्थान के दर्शन के लिए जाते हैं.
- साईं को हर धर्म में मान्यता प्राप्त है, हर धर्म के मानने वाले साईं में आस्था रखते हैं.
- साईं की उपासना बृहस्पतिवार के दिन विशेष रूप से की जाती है.
- मुख्यतौर पर तीन रूपों में की जाती है साईं की उपासना.
- चमत्कारी पुरुष के रूप में, भगवान के रूप में और गुरु के रूप में.
- गुरु के रूप में इनकी पूजा उपासना सबसे उत्तम होती है.
साईं बाबा का जीवन दर्शन और उपदेश:
- साईं बाबा ने आमतौर पर कोई पूजा पद्धति या जीवन दर्शन नहीं दिया.
- एक ही ईश्वर और श्रद्धा-सबुरी पर ही उनका विशेष जोर रहा है.
- लेकिन उनके ग्यारह वचन उनके भक्तों के लिए उनका दर्शन हैं.
- इन ग्यारह वचनों में जीवन की हर समस्या का समाधान छुपा हुआ है.
- ये ग्यारह वचन दरअसल साईं बाबा के ग्यारह वरदान हैं.
- ये वचन अपने आप में अध्यात्म की बड़ी शिक्षाएं समेटे हुए हैं.
- एक ही ईश्वर और श्रद्धा-सबुरी पर ही उनका विशेष जोर रहा है.
- लेकिन उनके ग्यारह वचन उनके भक्तों के लिए उनका दर्शन हैं.
- इन ग्यारह वचनों में जीवन की हर समस्या का समाधान छुपा हुआ है.
- ये ग्यारह वचन दरअसल साईं बाबा के ग्यारह वरदान हैं.
- ये वचन अपने आप में अध्यात्म की बड़ी शिक्षाएं समेटे हुए हैं.
पहला वचन:
'जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा.'
- साईं बाबा की लीला स्थली शिरडी रही है. इसलिए साईं कहते हैं कि शिरडी आने मात्र से समस्याएं टल जाएंगी. जो लोग शिरडी नहीं जा सकते उनके लिए साईं मंदिर जाना भी पर्याप्त होगा.
- साईं बाबा की लीला स्थली शिरडी रही है. इसलिए साईं कहते हैं कि शिरडी आने मात्र से समस्याएं टल जाएंगी. जो लोग शिरडी नहीं जा सकते उनके लिए साईं मंदिर जाना भी पर्याप्त होगा.
दूसरा वचन:
'चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर.'
- साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्त के दुःख दूर हो जाएंगे. साईं मंदिरों में प्रतीकात्मक समाधि के दर्शन से भी दुःख दूर हो जाते हैं, लेकिन मन में श्रद्धा भाव का होना जरूरी है.
- साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्त के दुःख दूर हो जाएंगे. साईं मंदिरों में प्रतीकात्मक समाधि के दर्शन से भी दुःख दूर हो जाते हैं, लेकिन मन में श्रद्धा भाव का होना जरूरी है.
तीसरा वचन:
'त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा.'
- साईं बाबा कहते हैं कि मैं भले ही शरीर में न रहूं. लेकिन जब भी मेरा भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और हर प्रकार से अपने भक्त की सहायता करूंगा.
- साईं बाबा कहते हैं कि मैं भले ही शरीर में न रहूं. लेकिन जब भी मेरा भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और हर प्रकार से अपने भक्त की सहायता करूंगा.
चौथा वचन:
'मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस.'
- हो सकता है मेरे न रहने पर भक्त का विश्वास कमजोर पड़ने लगे. वह अकेलापन और असहाय महसूस करने लगे.
लेकिन भक्त को विश्वास रखना चाहिए कि समाधि से की गई हर प्रार्थना पूर्ण होगी.
- हो सकता है मेरे न रहने पर भक्त का विश्वास कमजोर पड़ने लगे. वह अकेलापन और असहाय महसूस करने लगे.
लेकिन भक्त को विश्वास रखना चाहिए कि समाधि से की गई हर प्रार्थना पूर्ण होगी.
पांचवां वचन:
'मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो.'
- साईं बाबा कहते हैं कि मैं केवल शरीर नहीं हूं. मैं अजर-अमर अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा. यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है.
- साईं बाबा कहते हैं कि मैं केवल शरीर नहीं हूं. मैं अजर-अमर अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा. यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है.
छठवां वचन:
'मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए.'
- जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से मेरी शरण में आया है. उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है.
- जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से मेरी शरण में आया है. उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है.
सातवां वचन:
'जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का.'
- जो व्यक्ति मुझे जिस भाव से देखता है, मैं उसे वैसा ही दिखता हूं. यही नहीं जिस भाव से कामना करता है, उसी भाव से मैं उसकी कामना पूर्ण करता हूं.
- जो व्यक्ति मुझे जिस भाव से देखता है, मैं उसे वैसा ही दिखता हूं. यही नहीं जिस भाव से कामना करता है, उसी भाव से मैं उसकी कामना पूर्ण करता हूं.
आठवां वचन:
'भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा.'
- जो व्यक्ति पूर्ण रूप से समर्पित होगा उसके जीवन के हर भार को उठाऊंगा. और उसके हर दायित्व का निर्वहन करूंगा.
- जो व्यक्ति पूर्ण रूप से समर्पित होगा उसके जीवन के हर भार को उठाऊंगा. और उसके हर दायित्व का निर्वहन करूंगा.
नौवां वचन:
'आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर.'
- जो भक्त श्रद्धा भाव से सहायता मांगेगा उसकी सहायता मैं जरूर करूंगा.
- जो भक्त श्रद्धा भाव से सहायता मांगेगा उसकी सहायता मैं जरूर करूंगा.
दसवां वचन:
'मुझमें लीन वचन मन काया , उसका ऋण न कभी चुकाया.'
- जो भक्त मन, वचन और कर्म से मुझ में लीन रहता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं. उस भक्त के जीवन की सारी जिम्मेदारी मेरी है.
- जो भक्त मन, वचन और कर्म से मुझ में लीन रहता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं. उस भक्त के जीवन की सारी जिम्मेदारी मेरी है.
ग्यारहवां वचन:
'धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य.'
- साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं. ऐसे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं.
- साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं. ऐसे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं.
कैसे करें साईं बाबा के इन ग्यारह वचनों का जीवन में प्रयोग ?
- किसी भी बृहस्पतिवार को इन वचनों को पीले कागज पर लाल कलम से लिख लें.
- इन वचनों को अपने पूजा स्थान, शयन कक्ष और काम करने की जगह पर लगा दें.
- पूजा के पहले, सोने से पहले, काम करने के पहले और सोकर उठने के बाद इन वचनों को पढ़ें.
- इन्हें पढ़ने के बाद साईं बाबा का स्मरण करें, आपको साईं बाबा की कृपा जरूर मिलेगी.
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