Maa to Maa Hoti Hai , Kya Teri....... Kya Meri.

माँ : एक ऐसा शब्द  है ,जो हर किसी की जुबान पर आता है | एक मिठास ,एक सुकून ,एक ख्वाब ,एक एहसास , एक प्यास,लेकर जो सिर्फ और सिर्फ माँ में देखने को मिलता है | 

माँ तो माँ होती है  ......... क्या तेरी.... और........ क्या मेरी !!!!!

30 जनवरी 2020, को मेरी छोटी सी प्यारी बहिन का मेरे पास आँखों से आंसू निकलते हुए फ़ोन आता है की  "भाई माँ कुछ बोल रही नहीं है और तू घर के लिए निकल आ जल्दी से " इतना बोलकर उसने फ़ोन को रख दिया | 
यह वो समय था जब उस समय में अपनी दोस्त को फ़ोन पर अपनी माँ के लिए दुआ के लिए बोल रहा था , क्यूंकि वो बहुत दर्द में थी | 
देर रात जब में अपने घर पहुंचा तो मेने एक खूबसूरत परी से संपर्क किया तो मेने ये देखा की एक अबला नारी शांति से सो रही  है |
  
मेरे रोने और वहां पर बैठे सभी के रोने की आवाज़ सुनकर मेरे पिता और मेरी बहिन मेरी ओर आए और वो भी आश्चार्यचकित हो गए,  आगे क्या हुआ आप सभी कल्पना कर  सकते है | 


मेरे पिता एक माध्यम बर्ग के परिवार से थे और उसी  परिवार में मुझसे बड़ी दो बहिन के बाद मुझे अपनी माँ की गोद का आसरा मिला और फिर मुझे एक छोटी बहिन का प्यार मिला उसके बाद पता ही नहीं चला कि 
 में उस परिवार में कब और कैसे  खेल कूदकर  बड़ा हो गया | इस तरह मेरे परिवार में माँ ,दादी जी , पिता जी , तीन बहिन और में  थे | 


मेरे पिता नौकरी में व्यस्त थे ,मेरी माँ मेरी और मेरी छोटी बहिन की शिक्षा के लिए चिंतित थी | उसने बिना किसी को बता कर चुपके से कुछ पैसे निकाले  और फ़िरोज़ाबाद के एक छोटे से स्कूल में दाखिला कराया | इसके लिए  जो खर्च करना पड़ा ,मेरे पिता के हाथ में जो था उसकी तुलना में वो बहुत बड़ी राशि थी | 


इस लम्हे ने मेरे पिता के मूड को बुरी तरह से बंद कर दिया था ,लेकिन मेरी माँ ने मेरी शिक्षा के लिए हर किसी से लड़ना ,झुकना सुंनना  जारी रख़ा | क्यूंकि वो चाहती थी मेरा बच्चे  किसी भी तरह पढ़ लिख ले| 

मुझे अभी उसका कहा हुआ याद है :

"जब तक  मेरी सांस मेरी है  में अपने बच्चो की पढाई के लिए कोई समझौता नही करूंगी "


मेरी माँ मेरी  आँखों में आंसू देख कर मुझे ये बोलके प्रेरित करती थी की :

"लोग क्या बोलते है   उस बात पर ध्यान मत दो  , तुम सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दो " 

मेने  अपनी माँ की बात को  ध्यान में रखते हुए 10th व 12th में फर्स्ट रैंक के साथ पास किया | बल्कि मेने आर्थिकसंकट की वजह से मेने C.A. एडमिशन नहीं ले पाया और बंचित रह गया लेकिन मेने आगे की पढाई B.COM की मेने आगरा यूनिवर्सिटी से पास की |

मुझे  क्या करना चाहिए और में क्या करने में सक्षम हूँ ये सिर्फ मेरी परी जानती थी जो मेरी माँ हुआ करती थी | 
में अपने साथियो के साथ खेला करता था और लड़ाई हुआ करती थी तो मेरी माँ  मुझे डांटा करती थी और मेरी दादी माँ मेरे दरवाजे पर खड़े होकर ये देखती थी की मेरी पोते को अगर किसी ने कुछ कहा तो में  लड़ने को लिए तैयार हु |



मेरी माँ को 10 साल से ह्रदय की बीमारी थी | वो इससे अनजान नहीं थी जब ही वो बहुत परहेज़ से रहती थी और मुझे अक्सर ऐसा बोलती थी जब तक में  हूँ मेरे सभी बेटे और बिटिया का विवाह हो जाये | में अपनी पढाई पढ़कर गुरग्राम में नौकरी के लिए चला गया | जब भी मेरी माँ को लगता था की उसको मुझसे  मिलने का दिल करता है वो फ़ोन कर के मुझे बुलवाया करती थी | मेरे और उसके मिलने पर उसको उल्लास महसूस होता था , में अपनी बच्चे जैसी हरकत से अपनी माँ कभी परेशां  तो कभी माँ को हसना तो कभी माँ और पापा से हल्का फुल्का झगड़ा करना कभी दादी से माँ की बुराई और माँ  से दादी की बुराई करा कर अपने परिवार को एक अलग अंदाज़  में सज़ा  रखा | मेरी माँ की सबसे बड़ी खूबसूरती यही थी की उसकी कभी भी किसी से कैसा भी झगड़ा नहीं हुआ | मेरी माँ ने हमेशा मेरे पिता और मुझे गरम भोजन बना कर खिलाया करती थी | 

उसके बीमार होने पर भी थोड़ा सुकून मिलता था तो मेरे लिए अपने हांथो से सिर्फ मेरे लिए खाना खुद  बनाती थी | भगवन से उसने एक बार दुआ मांगी थी जो उसने मुझे बताया था कि जब तक मेरे बेटे की बहु नहीं आ जाती है जब तक तो भगवान् मुझे इतनी  हिम्मत दे की में अपने परिवार को संभल सकू और बेटे को दो बक्त की रोटी अपने  हांथो से बना कर खिला सकू | 



मेरी माँ की बीमारी इस स्टेज पर आ चुकी थी की उनका इलाज़ भी असंभ था और माँ की उम्र भी ज्यादा हो चुकी थी | ऐसे मरीज लगभग कुछ ही वर्ष तक जीवित रह सकते है |  मेरी देख रेख इस तरह से करती थी की में बड़ा होनेके बाद भी मुझे नन्हा बच्चे जैसी ख्याल करती थी | मेरे  पिता ने माँ के लिए शहर के अच्छे डॉक्टर से उनका ट्रीटमेंट करवाया | मेरे दादी माँ मेरे पिता मेरे परिवार के सभी लोग मेरी माँ के साथ थे उसकी बात और दिल में कोई दाग नहीं था |   मेरे घर आने पर में हमेशा अपनी माँ  के ही साथ सोता था और हमेशा मां मुझे  अपने साथ खाना खाती थी और खिलाती थी।

 जब  मां मुझे अपने होठों से मेरे हाथों को चूमकर और मेरे सिर पर अपने हाथों से हाथ फिरा कर सुलाया करती थी। सुबह की चाय अपने हांथो से बना कर पिलाना उसका में कभी भुला नही सकता था।भगवान  ने  मेरी मां का साथ  इतना ही लिखा था जितना नसीब हुआ मुझे मैं भगवान से यह प्रार्थना करता हूं कि यह मां हमेशा रहे और माँ का प्यार और मां की ममता ना कोई बता सकता है और ना ही कोई गिना सकता है मां से बड़ा योद्धा दुनिया में कोई हो ही नहीं सकता है यह मेरे मां के साथ कुछ बीते हुए पल थे जो मैंने इस  साथ आपके साथ इस ब्लाग के जरिये आपको बता रहा हूँ आप अपने विचार जरूर रखे।

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